Childhood Memories : Part -3 (बचपन की यादें भाग -3)

Childhood Memories : Part -3
(बचपन की यादें भाग -3)
                                             
कटाक्ष :एक घटना जो आपके लिए प्रेरणा बन जाए
                                                            😃😃😃
                         पिछले दो भागों को आपने काफी सराहा है ,और अपने बचपन के अनमोल यादो को भी साँझा किया हमारे साथ उसके लिए हम आपके  बहुत आभारी है। ….. 
                         आज मुझे आप लोगों को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि कभी कभी जीवन में घटने वाली कुछ एक घटनाएं ऐसी होती है जो पूरे जीवन के लिए प्रेरणा स्रोत  की भूमिका निभाती  हैं।  प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो उसके पूरे जीवन के लिए परिवर्तन  बिंदु की तरह होती है , जहा से उसकी जिंदगी एक नया मोड़ ले लेती है और वो अपने सही मंजिल की ओर रुख मोड़ लेता हैं । कभी-कभी तो कुछ घटनाएं ऐसी  होती है कि वे  जीवन को पूरी तरह से बदल कर के रख देती  है।
                          बात उस उम्र की है जब व्यक्ति को कोई भी कार्य करने में बहुत ही जुनून होता है क्योंकि उसे इस समाज में अपने आप को प्रमाणित करना है कि वह भी एक सफल व्यक्ति है। उसके द्वारा किए गए कार्य की सराहना होनी है, प्रतिस्पर्धा की इस दुनिया में व्यक्ति अपने आप को प्रमाणित करने के लिए प्रत्येक प्रतियोगिताओं में शामिल करने की कोशिश करता है।
                          मुझे अच्छी तरह याद हैं कि प्रतियोगिताओं की इसी श्रृंखला में एक दिन हिंदी निबंध प्रतियोगिता का आयोजन होने वाला था, मुझे लगा कि शायद मैं भी कुछ लिखूं हालांकि सब लोगों को यह मालूम था कि मेरी मातृभाषा तेलुगू है जिसके वजह से मेरे साथ के एक सहपाठी ने धीरे से बोला कहां चली मैडम?
                          मैंने कहा कि सोच रही हूं कि हिंदी की निबंध प्रतियोगिता में मैं भी भाग लूं ,जवाब में उन्होंने कहा ,हां हां क्यों नहीं आगे की तस्लीमा नसरीन तो आप ही है,जाइए जाइए और एक प्रयास कीजिए ,शायद आपके द्वारा लिखी हुई कोई निबंध ही प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर लें ।मेरे लिए ये टिपण्णी कटाक्ष  था। मुझे यह बात बड़ी अजीब सी लगी और मैंने ईस बात एक सकारात्मक चुनौती की तरह लिया और मैं इस टिप्पणी को अपने मस्तिष्क में रखते हुए निरंतर हिंदी के कई लेख अलग-अलग संपादकों को भेजती  और परिणाम स्वरूप मेरे  लेख कई किताबों में छपी भी। आज मुझे बहुत खुशी मिलती है कि उनकी यह टिप्पणी मेरे अंदर की छुपी योग्यता को पाठकों तक पहुंचाने में मार्ग दर्शक  की तरह काम किया।
                           आज जब मैं अपनी कलम से हिंदी भाषा में लेखो को लिखती हूं तो मुझे बहुत ही आनंद का अनुभव होता है। यदि विचार किया जाए तो यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं है लेकिन यह  एक कोशिश ,ऐसी है जिससे  कि आप अपनी भावनाओं को अन्य लोगों तक पहुंचाने का एक प्रभावशाली  माध्यम बन चुका है । प्रत्येक व्यक्ति के भीतर भावनाएं समाहित होती है , शब्दों के माध्यम से ही आकार लेती हैं।  जिस प्रकार ईश्वर की पूजा करने के लिए एक मूर्ति की सहायता होती है। ठीक उसी प्रकार अपने भावनाओं को प्रकट करने के लिए शब्दों की आवश्यकता होती है और वे शब्द हम सभी के लिए एक प्रेरणा की स्रोत बनती हैं।

                  मुझे यह पूर्ण विश्वास है कि मेरा यह लेख आप सभी को पसंद आएगी और आपसे यही उम्मीद करती हूं कि आपके जीवन में भी घटी  हुई वह घटना जो आपके विचारों को बदल दी हो उस घटना को हम सभी पाठकों से अवश्य शेयर करेंगे।आप हमारे वेबसाइट को सब्सक्राइब करें ताकि आप आगे आने वाली भाग की जानकारी दे सके। 

                                              धन्यवाद् 😃 

लेखक 
के. कविता 
संपादक 
  रीतेश  कुमार सिंह 

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7 thoughts on “Childhood Memories : Part -3 (बचपन की यादें भाग -3)”

  1. Reading the writing of your third part is encouraging. And we feel that such incidents happen in every person's life. But turning it into writing is not a matter of everyone.

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