कोरोना
( CORONA )
🍀🍀🍀
हर किसी की आंखों में, एक रोष सा अब दिखता है,
जिसे देखो हर ओर, ख़ामोश सा सब दिखता है।।
चारो तरफ़ है खौफ़, खुद की ही गलती का नतीज़ा,
सब दुबक कर घर में बैठे, चाहे हो विधायक का भतीजा।।
शुरुआत हुई तो लगा मज़ाक, चाइना को दी गाली,
आज जब देश पे आया संकट, हर सड़क हो गई खाली।।
पशु-पक्षी आज़ाद घूम रहे, पिंजरे में इंसान,
मंदिर में भी लगा है ताला, क्वारांटाइन पे भगवान।।
पांच बजे सब छत पे आ गये, संग थाली और शंख।
धन्यवाद हैं देते सारे, चाहे राजा हो या रंक।।
मास्क-सैनिटाइजर की, बाज़ार में लगी होड़।
वापस गांव को भाग रहे, संपन्न शहरों को छोड़।।
शहर, गांव, हर देश में फैला ये कोरोना,
ऐ मेरे भारतवासियों अब तो तुम जागोना।।
भूल जाओ सब धर्म-जाति, तोड़ दो सारे धागे,
मानवता से बढ़कर क्या, मानवता सबसे आगे।।
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रचनाकार:
अविरल शुक्ला
संपादक:
रीतेश कुमार सिंह
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Badhiya hai
Nice
👍👍