Life of students in Allahabad ( Prayagraj)
ई इलाहाबाद है भैया, यहाँ lucent और student का रिश्ता ठीक वैसे ही
है जैसे फिल्मों मे करण और अर्जुन का, यहाँ की गलियों में students भरे
पड़े है और सड़कों पे second hand की किताबे। इलाहाबाद के students के ऊपर
कोई कहानी लिखने का मतलब है, पानी को छन्नी से छानना और हवा को सूती कपडे
मे बाधना।
है जैसे फिल्मों मे करण और अर्जुन का, यहाँ की गलियों में students भरे
पड़े है और सड़कों पे second hand की किताबे। इलाहाबाद के students के ऊपर
कोई कहानी लिखने का मतलब है, पानी को छन्नी से छानना और हवा को सूती कपडे
मे बाधना।
यहाँ बॉडी मे पानी haemoglobin की तरह
students के कमरे मे जीरोक्स कॉपी और प्रतियोगिता दर्पण बहते रहते है और
जहा Edison की पंखे के निचे students का इतिहास उडियाता रहता है।
students के कमरे मे जीरोक्स कॉपी और प्रतियोगिता दर्पण बहते रहते है और
जहा Edison की पंखे के निचे students का इतिहास उडियाता रहता है।
जहा
पांच तरह के publication की किताबे पढ़े बिना खाना digest ही नही होता है।
Exercise के पेपर और किताब के रूह मे , जिंदगी का कितना रंग बह जाता है ये
सिर्फ इलाहाबाद ही जानता है।
पांच तरह के publication की किताबे पढ़े बिना खाना digest ही नही होता है।
Exercise के पेपर और किताब के रूह मे , जिंदगी का कितना रंग बह जाता है ये
सिर्फ इलाहाबाद ही जानता है।
अब इलाहाबाद कहे या Prayagraj
,सिर्फ जगह का नाम बदलता है साहेब! स्टूडेंट नही, और वैसे भी शादी शुदा
लड़की और बेरोजगार लड़के का कोई घर नही होता है। सिर्फ address होता है।
,सिर्फ जगह का नाम बदलता है साहेब! स्टूडेंट नही, और वैसे भी शादी शुदा
लड़की और बेरोजगार लड़के का कोई घर नही होता है। सिर्फ address होता है।
इलाहाबाद
के students की जिंदगी सिर्फ जिंदगी नही है एक साधना है जहाँ सब कुछ मना
है। यहाँ लोग घाम से नही exam से जल जाते है , लेकिन एक competition की आग
जो एक इलाहाबाद के लड़को मे धधकती है , वो शायद ही कही और किसी ज्वालामुखी
मे देखने को मिले।
के students की जिंदगी सिर्फ जिंदगी नही है एक साधना है जहाँ सब कुछ मना
है। यहाँ लोग घाम से नही exam से जल जाते है , लेकिन एक competition की आग
जो एक इलाहाबाद के लड़को मे धधकती है , वो शायद ही कही और किसी ज्वालामुखी
मे देखने को मिले।
काहें की इसी स्टूडेंट की
जिंदगी किसी मशहूर चौरहें से शुरू होकर दही जिलेबी होते हुए दोपहर का दाल
भात चोखा से और रात के रोटी सब्जी के साथ खत्म होती है । फिर भी इलाहाबाद
के लड़के हँस की तरह पानी से दुध छानकर ज्ञान निकाल देते है ।
जिंदगी किसी मशहूर चौरहें से शुरू होकर दही जिलेबी होते हुए दोपहर का दाल
भात चोखा से और रात के रोटी सब्जी के साथ खत्म होती है । फिर भी इलाहाबाद
के लड़के हँस की तरह पानी से दुध छानकर ज्ञान निकाल देते है ।
संगम के किनारे आने वाले साइबेरियन पक्षी की तरह हम भी कभी
आए थे मुसाफ़िर की तरह, आंखों मे competition की नीद और दिल मे जूनून और
माथे पे चावल और आटे की बोरीया लेके Prayagraj स्टेशन से उतरके गोबिंदपुर
के लिए टेम्पु पकड़ लिए वो टेम्पु मे कुमार सानु का गाना बहुत तेज आवाज मे
बज रहा था और वो टेम्पु के खटारे की आवाज मे मिक्स हो के गाना रीमिक्स हो
रहा था और वो गाना था … “तू धरती पे चाहे कही भी
रहेगी!
और सच कहे तो ई गाना हमारे जिंदगी का पहला रीमिक्स था जो काफी खूबसूरत था बिल्कुल अपने इलाहाबाद की तरह।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से B.A. करने के बाद यदि कोई लड़का अपने
नाम के आगे IAS लागा दे तो ये कोई बड़ी बात नही है काहे की इलाहाबाद का
लड़का सपनो को हकीकत की तरह जीना जानता है।
यहाँ के सिंगल कमरो
मे सपने रातों को खुली आंखो से देखा जाता है यहाँ जिंदगी economics मे नही
बल्कि मैथ्स और reasoning के सवालों मे घुमती है।
मे सपने रातों को खुली आंखो से देखा जाता है यहाँ जिंदगी economics मे नही
बल्कि मैथ्स और reasoning के सवालों मे घुमती है।
ये इलाहाबाद कभी-कभी freshers को डरा देेेेती है, क्योकि coaching
मे बढ़ते competition की संख्या यहाँ जीवन से ज़्यादा है। बगल के पांडे जी
को बगल के गुप्ता जी से कोई मतलब नही है और जल्दी से sucess पाने वाले
student पहले से ही यहाँ time & distance की तैयारी कर के आ ते है । और
पानी भरने से पहले कितना जल्दी दिल भर जाता है यहाँ, शायद ही किसी को पता न
हो।
मे बढ़ते competition की संख्या यहाँ जीवन से ज़्यादा है। बगल के पांडे जी
को बगल के गुप्ता जी से कोई मतलब नही है और जल्दी से sucess पाने वाले
student पहले से ही यहाँ time & distance की तैयारी कर के आ ते है । और
पानी भरने से पहले कितना जल्दी दिल भर जाता है यहाँ, शायद ही किसी को पता न
हो।
और हद से ज़्यादा चाहत कभी-कभी जीवन मे competition बढ़ा देती है,
जिसका पुरा न हो पाना कभी-कभी आंखो को गिला कर देती है। जब हम इलाहाबाद आये
थे तब हमारे पास sirf समान नही बल्कि माँ बाप के आरमान भी साथ आये थे।
मुझें जॉब चाहिए था और माँ बाप को ख़ुशी , पर क्या कहे उम्र के साथ-साथ
बढ़ती ख्वाईश कभी-कभी इंसान को मजबूर कर देती है।
जिसका पुरा न हो पाना कभी-कभी आंखो को गिला कर देती है। जब हम इलाहाबाद आये
थे तब हमारे पास sirf समान नही बल्कि माँ बाप के आरमान भी साथ आये थे।
मुझें जॉब चाहिए था और माँ बाप को ख़ुशी , पर क्या कहे उम्र के साथ-साथ
बढ़ती ख्वाईश कभी-कभी इंसान को मजबूर कर देती है।
समय
का इतनी तेजी से चलना कभी-कभी ये सोचने पर मजबूर कर देती है की आखिर सफर
की समाप्ति कब होगी, और बड़े शहर से खाली हाथ लौट आने वाले दिलो का गम
कितना होता है, ये गाँव कहाँ जान पाता है। ये इलाहाबाद वही शहर है जंहा
किसी की कहानी कटरा से शुरू होती है तो किसी की वही जाकर समाप्ति हो जाती
है।
का इतनी तेजी से चलना कभी-कभी ये सोचने पर मजबूर कर देती है की आखिर सफर
की समाप्ति कब होगी, और बड़े शहर से खाली हाथ लौट आने वाले दिलो का गम
कितना होता है, ये गाँव कहाँ जान पाता है। ये इलाहाबाद वही शहर है जंहा
किसी की कहानी कटरा से शुरू होती है तो किसी की वही जाकर समाप्ति हो जाती
है।
किसी चिज का अधूरापन जीवन का सबसे बुरा अनुभव होता है साहब पर क्या
करे… अधूरे और बुरे के बीच का जीवन क्रम इसी क्रम मे चलते रहते है, और
ये प्रकृति का नियम है अमआवश् के साथ पुणिमा का, जवार के साथ भाटे का,
बारिश के साथ धुप का, सुख के साथ दुःख का ये सृष्टि का नियम है। इलाहाबाद
का पानी अपना कर्ज उतारना नही भूलती है। इलाहाबाद से लोग चले जाते है लेकिन
लोगो के दिलो से इलाहाबाद कहा जा पता है। और
करे… अधूरे और बुरे के बीच का जीवन क्रम इसी क्रम मे चलते रहते है, और
ये प्रकृति का नियम है अमआवश् के साथ पुणिमा का, जवार के साथ भाटे का,
बारिश के साथ धुप का, सुख के साथ दुःख का ये सृष्टि का नियम है। इलाहाबाद
का पानी अपना कर्ज उतारना नही भूलती है। इलाहाबाद से लोग चले जाते है लेकिन
लोगो के दिलो से इलाहाबाद कहा जा पता है। और
इलाहाबाद आना सिर्फ एक घटना
नही बल्कि सयोग है, जो जीवन के अनुभव को सीखता है।
नही बल्कि सयोग है, जो जीवन के अनुभव को सीखता है।
आज
हम पांच लोगो मे से सिर्फ दो लोग ही है इलाहाबाद मे पर ये कहानी उन सभी
पांच students की है जिसने अपने गाँव की पगडंडियों को नापकर इलाहाबाद की
चौहादि को मापा है। और इलाहाबाद कोई ऐसे नही छोड़ता साहेब अगर वह छोड़ता है
तो या तो जीतकर या तो सीखकर, क्योकि ये इलाहाबाद है, यहाँ कोई हार नही
मानता….
हम पांच लोगो मे से सिर्फ दो लोग ही है इलाहाबाद मे पर ये कहानी उन सभी
पांच students की है जिसने अपने गाँव की पगडंडियों को नापकर इलाहाबाद की
चौहादि को मापा है। और इलाहाबाद कोई ऐसे नही छोड़ता साहेब अगर वह छोड़ता है
तो या तो जीतकर या तो सीखकर, क्योकि ये इलाहाबाद है, यहाँ कोई हार नही
मानता….
💪💪💪💪जयतू जय जय इलाहाबाद🙏🙏🙏🙏
Nice article….ek student jo kai sapno k saath pahuchta ha…👌👌
Thank you