Panchatantra Story Of The Sparrow and the Monkey

गौरैया और बंदर की कहानी -मित्र भेद -पंचतंत्र की कहानी  || Story of “The Sparrow and Monkey” of Panchatantra By Vishnu Sharma || Moral Stories of “The Bird and Monkey”

एक बार एक जंगल में टीनू नाम की गौरैयाँ अपने परिवार के साथ सुखी से अपना जीवन बिता रही थी। टीनू  और उसका पति बहुत ही भोले और मेहनती थे। सर्दियों का मौसम आने वाला था। टीनू अपने पति के साथ मिलकर अपना घर ठीक कर रही थी ताकि सर्दी के मौसम वो अपने पति और बच्चो  साथ आराम से रह सके और ठण्ड से बच सके। 

टीनू और उसका पति जंगल में दूर दूर जाके अच्छे और मजबूत तिनकों को इक्कठा किया और कुछ दिनों में अपना घर बहुत अच्छा बना लिया। दोनों टीनू का परिवार बहुत खुश था। टीनू भी यह सोच के बहुत प्रसन्न हो रही थीं कि सर्दियों में वो अब अपन परिवार के साथ बड़े आराम से जीवन यापन कर सकती है। 

सर्दियों का मौसम शुरु हो गया था। टीनू का पति कही बाहर किसी काम से गया हुआ था। टीनू अपने घोसले में अपने दो बच्चों के साथ बैठी हुए थीं। उस दिन ठण्ड जोरो की पड़ रही थी और बारीश भी आ रही थी। टीनू अपने पति के इंतजार में बाहर की तरफ देखे जा रही थी। 

तभी टीनू ने देखा की बगल की डाल पर एक बन्दर आकर बैठ गया है । बारीश और सर्द हवाओ से बन्दर बहुत परेशान था। बारीश और जोरों की ठण्ड की वजह से बन्दर के दांत बज रहे थे। 

बन्दर को परेशान देख टीनू गौरैया को रहा न गया। टीनू ने बंदर को आवाज़ लगाया और चिंता जताते हुए कहा कि कौन है आप? इतने ठण्ड और बारिश में क्यों भीग रहे हो? आपके पास अपना कोई घर नहीं है ?

बन्दर ने टीनू की बात हो ध्यान नहीं दिया और चुप चाप ठण्ड से परेशान बैठा रहा। 

टीनू बहुत भोली थी। उसने फिर बंदर को आवाज देते हुए कहा कि दिखने में इतने बड़े और बलवान हो।  सर्दियों के आने से पहले मेहनत कर अपने लिए घर बना लेना चाहिए था। देखो हम अपने घर में कितने आराम से है। अगर घर बनाया होता तो बारिश में इस तरह भीगना और ठण्ड से परेशान नहीं होना पड़ता। 

टीनू की बात सुनकर बन्दर को अच्छा नहीं लगा और वो क्रोध से भड़क उठा। बंदर तेजी से टीनू के घोसले की तरफ झपटा और नीचे की ओर धकेल दिया। गुस्से में जोर जोर से उस डाल पर चीखते हुए कूदने लगा। 

टीनू का घोसला अब नीचे गिरने की वजह से टूट चूका था। टीनू के बच्चे जोर जोर से चिल्लाने लगे। टीनू गौरैया अपने बच्चों के हालत को  देख कर रोने लगी। टीनू को अपने गलती का एहसास हो चुका था।अब सोच रही थी कि मुझे बंदर को राय नहीं देनी चाहिए थी किन्तु मुर्ख को समझने का परिणाम मिल चूका था। 

बारीश धीरे हो चुकी थी। तभी टीनू का पति आ गया और अपने परिवार की हालत देख परेशान हो गया। टीनू और उसका पति अपने बच्चो को लेकर दूसरे पेड़ का सहारा लिया। टीनू अपने किये पर बहुत पछता रही थी। 

कहानी की सीख (Moral of “The sparrow and the monkey” story in Hindi ):

दुसरो को सही सलाह देकर मदद करना बहुत अच्छी बात होती है। गौरैयाँ और बन्दर की कहानी से ये सीख मिलती है कि अगर कोई  नाराज और नासमझ एक बार में न समझे तो जबरदस्ती समझाने से स्वयं का नुकसान हो सकता है। अर्थात मूर्खों को  राय नहीं देना चाहिए। 

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धन्यवाद् 

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By Reena Singh

I’m a passionate storyteller and lifelong learner who believes that words can spark change. Through A New Thinking Era, I share motivational quotes, inspiring stories, and transformative insights to help people rediscover their purpose, build inner strength, and stay grounded in hope — no matter what life throws at them. This blog isn’t just a space for content — it’s a movement to help people think deeper, live better, and rise stronger. Every post is created with the belief that a single thought can shift your whole day — or even your life. When I’m not writing, I’m reading, reflecting, and dreaming up new ways to turn wisdom into action.

1 comment

  1. मूर्खों को ना राय देनी चाहिए ना उनसे राय लेनी चाहिए। कहानी के माध्यम से एक अच्छी शिक्षा देने का प्रयास 👍🏻

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