गरीबी
POVERTY
“यह कविता गरीबी के विभिन्न आयामों को दर्शा्ती र्हैं। “
मनु के जन्म से आज दिवस तक, यह है सबसे विकट विकार।
हर शहर हर गांव में दिखती, हर ओर गरीबी अपरम्पार।।
यदि कोई जन्म से ठाठ में रहता, वृद्धावस्था में बदलाव।
सब कर्मो का फल है प्यारे, बदल गए जो मन के भाव।।
बड़े-बड़े महलों में रहकर, वे सुख-चैन को तरसें।
कुटिया में भी भोज उत्सव, जब मां अपने हाथ से परसें।।
चाहे जितना हो सम्पन्न, गरीबी यह सब की है आती।
तीन पहर जो भोजन करता, कभी भूखे पेट उसे सुलाती।।
हालात विवश तो सब ही देते, किस्मत को हैं दोष।
दौलत भी मायने क्या रखती, जब मन में ना संतोष।।
बचपन निकला नादानी में, बुद्धि का हुआ विकास।
सोच बदलने का मन में, है जागा एक विश्वास।।
विश्वास यही कि हर दुख सहकर, मुस्कान को अपनाएंगे।
धन से नहीं कर्म से अपनी, जीवनगाथा को सजाएंगे।।
जीवन में जब हो संतुष्टि, गरीबी से भी होय उद्धार।
हर शहर हर गांव में दिखती, हर ओर गरीबी अपरम्पार।।
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रचनाकार:
अविरल शुक्ला
संपादक:
रीतेश कुमार सिंह
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Bahut badhiya👍
Thank you 😊
Nice 👌👌
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