Childhood Memories : Part -4 ( बचपन की यादें :भाग -4 )

” ख़ामोशी “ क्या महत्वकांछाएं परिस्थितियों से भी बढ़ कर हैं ? (Silence: Are the wishes are more important than the circumstances ?)                        ‘‘ कई बार हम बिना कठिनाइयों को समझे ही उसका हल लेके तैयार रहते हैं ,कभी कभी ऐसे व्यक्तियों के बारे में  मै  सोच के एक अजीब से उलझन में पड़ जाता हूँ ।                        प्रिय पाठको ,बचपन की याद भाग – 4 में ,मैं आपसे एक  ऐसे याद को शेयर करना चाहता हूं जो मीठी तो नहीं है किन्तु आज के अभिभावको के लिए बहुत ही अच्छा सबक  है। ऐसा कई बार होता है कि हम सोचते कुछ और हैं और उसका परिणाम कुछ और ही आता है और जब परिणाम हमारे  सामने होता है   तब तक समय हमारे हाथों से निकल चुका होता है।             …

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