MERI JINDAGI KE DO PEHLU : PART – 1 ( मेरी जिंदगी के दो पहलू )

                                         ” एक दिन ख़ुद के लिए जी के देखो  ना ,एक दिन खुद पर लुटा के देखो ना“                           आज मै आपसे कहूंगा की आप अपने यादो में थोड़ा पीछे जाइये, थोड़ा याद करे उन पालो को जब हम बिना किसी फ़िक्र के अपने जिंदगी के हर उन  पलो को भरपूर जिया करते थे।  जबकि हमें  उस उम्र में जिंदगी  का कोई भी तजुरबा भी न था।                           हम सभी को यही लगता है की हमने अपनी असली जिंदगी बचपन में ही जिया है। लेकिन आइये  ईश बात पे हम  विचार करके देखते  है। ऐसी क़या बाते  थी जिनकी वजह से हम वो बेवाक जिंदगी जिया करते थे और  ज्यो ज्यो हमारी   समझ में बढोत्तरी  होना  शुरू  हुआ …

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