महान राष्ट्रवादी कवि रामधारी सिंह “दिनकर” का भारत स्वराज दिलाने में अतुलनीय योगदान:
Happy Independence Day || 15th August Celebration || Tribute to Revolutionary Poet Shree Ramdhari Singh “Dinkar”
आशा का दीपक :थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है- रामधारी सिंह “दिनकर” || Asha Ka Deepak:Thakkar baith gaye kya bhai! Manjil dur nhi hai- Ramdhari Singh “Dinkar”
पहली कविता जिसका शीर्षक “आशा का दीपक” है ,जिसे पढ़के हमें आज भी उतनी ही प्रेरणा मिलती है जितना की स्वराज के समय लोगो को मिली थी।
उन्होंने इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की हम कई बार प्रयासों से थक जाते है और मंजिल के नजदीक होके भी रुक जाते है।
अपने बढ़ते कदमो को मत रोको। हमारी मंजिल नजदीक है ,प्रतंत्रता के बदल अब छटने लगे है। इतना संघर्ष जो तुमने अपने धरती माँ के लिया किया है , अब अपने बढ़ते हुए कदमो को मत रोको। इसका उपहार तुम्हे स्वराज के रूप में मिलने वाला है, जिसकी चमक झिलमिला रहा है।
वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल, दूर नहीं है
थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है
थककर बैठ गये क्या भाई ! मंजिल दूर नहीं है।
वह देखो, उस पार चमकता है मंदिर प्रियतम का।
लिखा जा चुका अनल-अक्षरों में इतिहास तुम्हारा।
जिस मिट्टी ने लहू पिया, वह फूल खिलाएगी ही,
अंबर पर घन बन छाएगा ही उच्छवास तुम्हारा।
और अधिक ले जांच, देवता इतना क्रूर नहीं है,

Ramdhari Singh Dinkar ek krantikari kavi the.unki kavitayen bahut prabhavshali hai.thanks for sharing