Women Empowerment and Rights of Women


महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के अधिकार || Women Empowerment and Rights of Women


“हर महिला की सफलता दूसरे के लिए प्रेरणा होनी चाहिए। हमें एक-दूसरे को ऊपर उठाना चाहिए। सुनिश्चित करें कि आप बहुत मजबूत हैं, अत्यंत दयालु हैं, और सबसे ऊपर, विनम्र रहें।” – सेरेना विलियम्स
महिला  परिवार की एक ऐसी धुरी है जिसपर पूरा परिवार  टिका होता है और  परिवार से ही समाज का निर्माण होता है। अगर हम किसी समाज की दशा या दिशा बदलना चाहते हैं तो सबसे पहले महिलाओं की स्थिति बदलनी चाहिये।
” महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के अधिकार ” ऐसे जीवन की ओर बढ़ती हुई मांग पर आधारित विचारधारा है जिसमें प्रत्येक महिला की अन्तर्निहित गरिमा एवं गुणों का सम्मान हो तथा उसे संरक्षण प्रदान किया जाय। 
महिलाओं को तभी सशक्त बनाया जा सकता है, जब उनको आसानी से बेहतर शिक्षा मिल सके और उनको  रूढ़िवादी मर्यादाओं से मुक्त कर इस नए युग के  विभिन्न अवसरों को पाने का प्रोत्साहन मिल सके। 
पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों को नीचाँ दिखाया जाता है , उनका शोषण किया जाता है। पुराने सभ्यताओं को के रूढ़िवादी विचारों को बदलने का वक़्त है ,जो हम सभी की जिम्मेदारी है। हमें हर बेटी को बेटो के बराबर का दर्जा देना होगा। 
अगर समाज में महिलाओं को पुरुषों के सामान अधिकार मिले , वो दिन दूर नहीं होगा जब देशों के आर्थिक अस्तर वर्तमान के दोगुनी हो जाएगी। 

क्या है महिला सशक्तिकरण ? || What is women empowerment?

               ”  महिला सशक्तिकरण ” का अर्थ है, महिलाओं के लिए ऐसा ढांचे का निर्माण करना जिससे वे शक्तिहीनता के प्रभाव से निकल सकें और आत्मविकास  की ओर बढ़ें। जब तक वें खुद का विकास नहीं करेंगी तब तक हम किसी स्वस्थ समाज़ की कल्पना नहीं कर सकेंगे। 
महिला  सशक्तिकरण , अर्थात:-
      महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने, 
       आत्म निर्णयन का अधिकार प्रदान  करने
        और समाज़ में उनकी समता आधारित भागीदारी 
         सुनिश्चित करना है।
महिला सशक्तीकरण  का  तात्पर्य महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, एवं क़ानूनी ताकत को बढ़ाना  और सुधार करना है, ताकि महिलाओं को पुरुषो जैसा समान अधिकार मिल सके।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता  क्यूँ है ? || Why is there a need for women empowerment? 

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता  क्यूँ है , इस  पर भी विचार कर लेना ज़रूरी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं  हमारा समाज़  पुरुष – प्रधान रहा है, घर हो या समाज़ महिलाएँ आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती रहीं हैं फिर भी लैंगिक आधार पर उनके साथ भेदभाव किया जाता रहा है। 
अत: उनकी स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिए उनके अधिकारों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए ,यह महिलाओं के लिए एक सामाजिक, राजनीतिक, आज़ादी की लड़ाई नहीं है बल्कि उनके मूल अधिकार और गरिमा की लड़ाई है ।

भारत में महिला सशक्तिकरण || Women Empowerment in India        

भारत में महिला सशक्तिकरण की स्थिती को देख जााये तो  इनकी स्थिती सदैव ऐसी नही रही है।  प्राचीन वैदिक  काल मेंं  समाज की व्यवस्था मातृसत्तात्मक  थी, माता का सम्मान होता था, अपाला, घोषा  जैसी सशक्त एवं विदुषी महिलाए थीं जिनकी    सामाजिक स्थिति और अधिकार पुरुषों के बराबर हुआ करते थे। 
लेकिन अंग्रेजी शासनकाल में,  समाज का ढांचागत सामाजिक और राजनीति विकास होता गया वैसे वैसे महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों एवं उनकी भागीदारी का हराश होने लगा।
भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति बहुत दयनीय होने लगी उन्हें जीवन के सभी फैसलों के लिये पिता ,पति या पुत्र पर ही निर्भर रहना पड़ा, परिणाम यह  हुआ कि उनका अस्तित्व न के बराबर रहा ।
वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता की लड़ाई में  भीकाजी कामा,डॉ एनीबेसेन्ट, विजयलक्ष्मी पंडित, अरुणा आशिफ़ अली ,सुचिताकृपलानी,सरोजिनी नायडू  ये ऐसी शख्सियत रहीं हैं जिन्होने देश में जागृत नारी शक्ति की नजीरें  पेश की हैं। 
वर्तमान में  स्थिती  थोड़ी सुधारने लगी है क्यों कि अब हर महिला अपने आधिकार को समझने  लगी हैै ,आज वो न केवल पुरुषों के कंधों से कंधा मिलाकर चलने लगीं हैं बल्कि दो कदम आगे भी निकल रही हैं।
अब समाज के सभी क्षेत्रों में उनकी भागीदारी भी बढनेंं लगी है, विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार यदि महिलाएं श्रम में योगदान दें तो भारत की विकास दर दहाई की संख्या मे होगी।
वैश्विक स्तर पर भी इस बात को स्वीकार किया गया है कि समाज की प्रगति को गतिशील बनाना है तो महिला का सशक्त होना बेहद जरूरी है।
 
अब अगर महिलाओं के अधिकार को देखा जाये तो अब उन्हें वे सभी अधिकार दिए गये हैं जिससे वे अपना विकास कर सकेंं। आगे के लेखों द्वारा मैं भारतीय महिलाओं को प्राप्त संवैधानिक अधिकारों के विषय पर चर्चा करूंगी और यह जरूर कहना चाहती हूं कि जो बात स्री के अस्तित्व से शुरू होकर उसके अधिकार पर खत्म हो उसका हिस्सा बनना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।
इस विचारधारा  पर लिखने का जो अवसर मुझे प्राप्त हुआ उसके लिए मैं  रितेश जी का आभार व्यक्त करना चाहूंगी। कृपया अपना राय कमेंट बॉक्स में जरूर करें और इसे अधिक से अधिक  शेयर  कर देश के महिलाओं में  जागरूकता बढ़ाने में अपना सहयोग दे।
 
धन्यवाद।
“Share the Light, Inspire the World”

By Reena Singh

I’m a passionate storyteller and lifelong learner who believes that words can spark change. Through A New Thinking Era, I share motivational quotes, inspiring stories, and transformative insights to help people rediscover their purpose, build inner strength, and stay grounded in hope — no matter what life throws at them. This blog isn’t just a space for content — it’s a movement to help people think deeper, live better, and rise stronger. Every post is created with the belief that a single thought can shift your whole day — or even your life. When I’m not writing, I’m reading, reflecting, and dreaming up new ways to turn wisdom into action.

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