बचपन की यादें (भाग -2 ) अनुशासन: लक्ष्य के अलावा मुझे कुछ भी नहीं दिखता है। (Discipline: I see nothing but goals.) “हर पल हर वक्त सोचती हूं कि मां-बाप इस कदर कठोर क्यों होते हैं हम गहरी नींद में होते हैं और वे उस वक्त भी नहीं सोते हैं ,आज इतने वर्षों में यह बात समझ में आया “ प्रिय पाठको मेरे पिछला लेख “बचपन की यादे -भाग १” को इतना सराहना देने के लिए बहुत ही आभारी हूँ। आपके विचारो को जान के मुझे बहुत खुशी हो रही है । आपकी उत्सुकताओं से मुझे अपने बीते दिनों के अनुभवो को साझा करने में बहुत प्रोत्साहन मिलरहा हैं। मेरा आपसे निवेदन है की सबके जीवन में छोटी छोटी घटनाएँ होती है जिनके याद आने भर से ही मन में एक ख़ुशी की लहर सी दौड़ जाती हैं। मैं उन्ही यादो को आपसे साझा करने के लिए …