POVERTY : गरीबी
गरीबी POVERTY “यह कविता गरीबी के विभिन्न आयामों को दर्शा्ती र्हैं। “ मनु के जन्म से आज दिवस तक, यह है सबसे विकट विकार। हर शहर हर गांव में दिखती, हर ओर गरीबी अपरम्पार।। यदि कोई जन्म से ठाठ में रहता, वृद्धावस्था में बदलाव। सब कर्मो का फल है प्यारे, बदल गए जो मन के भाव।। बड़े-बड़े महलों में रहकर, वे सुख-चैन को तरसें। कुटिया में भी भोज उत्सव, जब मां अपने हाथ से परसें।। चाहे जितना हो सम्पन्न, गरीबी यह सब की है आती। तीन पहर जो भोजन करता, कभी भूखे पेट उसे सुलाती।। हालात विवश तो सब ही देते, किस्मत …